अपनी जरूरत के लिए आप बाजार से कई सामान लेकर आते हैं। वो सामान अच्छी गुणवत्ता का हो इसके लिए आप बेहतर से बेहतर ब्रांड पर पैसे खर्च करते हैं। आप पैसे देते हैं और दुकानदार उसके बदले सामान देता है । बाजार के इस रिश्ते को क्रेता और विक्रेता का नाम दिया जाता है। क्रेता यानि उपभोक्ता..... और उपभोक्ता यानि आप और हम... बाजार का ये रिश्ता आपसी ईमानदारी पर टिका होता है। लेकिन कई बार विक्रेता वो सामान नहीं देता जिसका वादा उसने किया था जिससे ग्राहक का विश्वास टूटता है। ऐसे में एक उपभोक्ता के कानूनी अधिकार क्या हैं ? क्या आप मैन्यूफैक्चरर,डीलर या रीटेलर को खराब सेवा के लिए जिम्मेदार ठहरा सकते हैं ? उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत ग्राहकों को क्या अधिकार दिये गये हैं ? कन्जूमर कोर्ट से आपको क्या राहत मिल सकती हैं? आपके कानून के इस अंक में चर्चा करेंगे ग्राहक के तौर पर अगर आप भी परेशान हैं तो कानूनी समाधान जानने के लिए संपर्क करें...
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